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यह भी सही और वो भी सही |

मेरे कंधो पे नहीं कोई ज़िम्मेदारियाँ नयी | प्यार था कभी किसी से,अब किसी से नहीं | फ़र्क़ पड़ता नहीं रास्ते हो जन्नत या जहनुम के, यहाँ यह भी सही और वो भी सही | सही यह भी है की दर्द बाकी हैं सीने मैं मेरे, छोटी से ख़ुशी का एहसास अब ज्यादा लगता है | अच्छा लगता हैं जब गिरती हैं बूंदे इश्क़ की मन के आँगन मैं , मुझे हवा का हलके से छु जाना बड़ा सुहाना लगता है | ओस की बूंदे रात मैं ही मिल लेती हैं मुझसे, सुबह किरणों  से उन्हें डर ज़रा ज्यादा लगता है, डर लगता हैं उन्हें बिछड़ जाने का खुद से, ये मिल कर बिछड़ना और फिर मिलना , अरे ये प्यार बड़ा पुराना लगता हैं | और सपने आते हैं मुझे रोज़ मानाने को, ज़िन्दगी मैं जो न पाया,वो यही हासिल हो जाता है | पूरी हो जाती हैं ख्वाशिए सारी, चंद घंटो मैं मेरे सपनो का महल पूरा हो जाता है | मेरे मन मैं भी रोज़ चलती हैं जंग कई जज़्बातों की, हार जीत की इस कश्मकश मैं लग जाती है यादों की, ये भी सही और वो भी सही ,पर इस तन्हाई ने बड़ा परेशां कर रखा है, ज़रा देखूँ तो सही आज तेरी कौन सी याद ने ऐसा उत्पात मचा रखा है |

मैं यादों मैं तेरे साथ हूँ |

ये कल ही की तो बात   हैं , जो तू जो मेरे साथ थी , वो शाम   क्या   हसीं   थी , फिर क्या विचित्र   यह   रात   हैं , यह रात पूछती मुझे वो कौन तबसे साथ था , आज नींद क्यों हैं रूठ गयी , आज क्या अलग सी   बात   हैं | मैं   कब   से   तेरे   पास   था   ज़िन्दगी   के   हर पड़ाव   पर , जो साथ   छोड़ा   तुमने   तो अब   यादों   मैं तेरे   साथ   हूँ | मैं   बिन मुड़े फिर चल पड़ा , उस   प्यार   की   तलाश   मैं , उस   प्यार   को ढूंढो   कहा , अब यह   याद ही मेरे पास हैं | जो आज यही हैं मेरे पास , वो रात   का गुलाम हैं ( दर्द ), ये दर्द   याद   मैं   छिपा   यह   दर्द   बड़ा   परेशां   हैं , परेशां   हैं   इस   बात   पे मैं   क्यों   खड़ा   उदास   सा , ये दर्द   तरस सा खा रहा , ये क्या अजीब सी बात हैं | आंसुओं मैं   जैसे धूल गया , वो दर्द   तेरे   जाने   का , क्या उसे बताये कोई की क्या ही मेरा हाल हैं   | खोलूं   कैसे यह   दर्दे - दिल , उसकी याद   बड़ी

Oh Boy! The beautiful girl.

I met this girl at Brooklyn bar And though the girl wasn't looking at me I could sense behind this magnificent face a lovely heart. I watched her talk all through the flashy lights and peptic drinks My heart skipped every time I heard her name This shy kid wanted to talk once and for all I could sense the tension building in me I could sense the magic carving my body throughout and all. Finally, going berserk with stupid ideas in my head I asked her if I could sit near her place She agreed with a nod and I was ecstatic and surprised. I came home with madness in my mind I missed the smell of her fragrance and the color of her eyes And I thought I don't care if to find her it takes my whole life I found her at last and started a plethora of events Chain of activities followed and I wrote a song Oh boy! Now am 50 Cents. And she was the one I took for a walk and the trees weren't there forever The flowers are waiting to be plucked and this is the time we waited for All the mag

An ode to the ‘Selfless Gender’

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The voices are heard , as a terrible curse. At every corner, ‘female’ word is being battered. We are shouting and screaming but all goes in vain Because trust is nothing and safety millions times shattered. Mortality, bruisesand dowry, Is what she gets to experience in her life, All this should make us feel sick and all this should stop before our moral value dies with so many hurdles in her way with so many sufferings she built’s a way and cross all turnings. Equality is what she always deserved And great caliber is what she had always preserved. They are capable of taming monsters and devils and have a heavy hand always reserved.. A woman is one who is able to smile this morning even though she was crying last night. The love and compassion a mother has, the caring nature that sisters carries Unmatched sacrifices and warmth is received when a guy is married. A woman is one who is able to smile this morning even though she was crying last night. A women is one who

जीना सीख लिया हैं |

हाँ अब आती हैं हँसी अकेले मैं मुझको . मैंने जीना सीख लिया हैं सब कुछ भुला के , अजब सा नशा हैं मंद मंद मुस्कुराने मैं, लोग समझे पागल तो फिर भी क्या फर्क पड़ता हैं | पल पल अब घुटा हुआ गुज़रता हैं , साँसों को जैसे क़ैद करा हो किसी पिंजरे मैं, मैंने सीख लिया है दर्द छुपाना, लोगो को बेवक़ूफ़ बनाता हूँ रोज़ झूटी हँसी दिखा कर. मेरे चेहरे से मेरे दर्द का उनको पता नहीं चलता. ऐसे ज़िंदा -दिल्ली से करता हूँ मैं नाटक रोज़ जीने का | वो कहते हैं कितना हँसता हैं यह दिन भर , रात को सुर्ख आँखों का सबब तो कोई पूछ ले एक बार आकर, बारिश के बरसने की ख़ुशी मिलती होगी लोगो को. मुझे रास नही आती ,कितनी ही बड़ी हो ख़ुशी, खोया सा डूबा सा रहता हूँ मैं अपने ही खयालो मैं मैंने मुस्कान से सौदा बड़ा कर लिया हैं, क्या बर्फ की चादर वैसे ही पड़ती हैं पहाड़ो पर ? जैसे गम के बादल घिरते हैं मन की दीवारों पर , क्या होता हैं उजाला वैसे ही रोज़ सुबह कही ? जैसे दुःख के सागर मैं निकली हो कश्ती नयी उम्मीद की कोई, कोई होगा जो देगा एक दिन जवाब इन .सब सवालों का आज सो जाते हैं नींद को झूटी तसल्ली देकर ह

हम सब की कहानी |

घने  घिरे   हो   बादल   सर   पे, आग   लगी   हो   चंचल   मन   मैं, मनमानी   सी   चाल   चले   जो , भूक   प्यास   सब त्याग चुके जो हाँ   मैं   ठहरा   शख्स   वही   तो, बातें   मेरी   रूमानी   हैं | जान   गए   जो मन   गए अब, सहमे   चेहरे   भांप   गए   सब, रात   की   ठंडी   ओस   की   जैसी , हम   सब   की   यही   कहानी   हैं | रुबाई   जैसी   लगती   होगी. पर   यह   सामान्य   कहानी   हैं . टुकड़ा   टुकड़ा   करके, राहे खुद   ही   तुम्हे   बनानी   है | मुश्किल आये   तो आये   चाहे   फट   पड़े   यह   घनघोर   घटाए, हार   न   मानो साथ   चलो   तुम, कुछ   देर   तो    मेरे पास   रहो   तुम , लहरें मूह   मोडेगी तुमसे, फिर   वापस   आ   जाएँगी , आज रोते   रोते   ज़िन्दगी   झट   से   तुम्हे   हसायेगी | उस   अँधेरी   रात   मैं   चाँद   रौशनी   डालेगा, उस   गहरे   ज़ख्म   मैं   समय   मरहम   लगाएगा, नयी   बात   आज   हैं   नहीं   कुछ   भी, वही   बासी   पुरानी   कहानी   हैं, सोच   रहे   हो     क्या नया है इसमें, यह   मुश्किल   तो जानी   पहचानी   हैं