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Showing posts from December, 2016

An ode to the ‘Selfless Gender’

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The voices are heard , as a terrible curse. At every corner, ‘female’ word is being battered. We are shouting and screaming but all goes in vain Because trust is nothing and safety millions times shattered. Mortality, bruisesand dowry, Is what she gets to experience in her life, All this should make us feel sick and all this should stop before our moral value dies with so many hurdles in her way with so many sufferings she built’s a way and cross all turnings. Equality is what she always deserved And great caliber is what she had always preserved. They are capable of taming monsters and devils and have a heavy hand always reserved.. A woman is one who is able to smile this morning even though she was crying last night. The love and compassion a mother has, the caring nature that sisters carries Unmatched sacrifices and warmth is received when a guy is married. A woman is one who is able to smile this morning even though she was crying last night. A women is one who

जीना सीख लिया हैं |

हाँ अब आती हैं हँसी अकेले मैं मुझको . मैंने जीना सीख लिया हैं सब कुछ भुला के , अजब सा नशा हैं मंद मंद मुस्कुराने मैं, लोग समझे पागल तो फिर भी क्या फर्क पड़ता हैं | पल पल अब घुटा हुआ गुज़रता हैं , साँसों को जैसे क़ैद करा हो किसी पिंजरे मैं, मैंने सीख लिया है दर्द छुपाना, लोगो को बेवक़ूफ़ बनाता हूँ रोज़ झूटी हँसी दिखा कर. मेरे चेहरे से मेरे दर्द का उनको पता नहीं चलता. ऐसे ज़िंदा -दिल्ली से करता हूँ मैं नाटक रोज़ जीने का | वो कहते हैं कितना हँसता हैं यह दिन भर , रात को सुर्ख आँखों का सबब तो कोई पूछ ले एक बार आकर, बारिश के बरसने की ख़ुशी मिलती होगी लोगो को. मुझे रास नही आती ,कितनी ही बड़ी हो ख़ुशी, खोया सा डूबा सा रहता हूँ मैं अपने ही खयालो मैं मैंने मुस्कान से सौदा बड़ा कर लिया हैं, क्या बर्फ की चादर वैसे ही पड़ती हैं पहाड़ो पर ? जैसे गम के बादल घिरते हैं मन की दीवारों पर , क्या होता हैं उजाला वैसे ही रोज़ सुबह कही ? जैसे दुःख के सागर मैं निकली हो कश्ती नयी उम्मीद की कोई, कोई होगा जो देगा एक दिन जवाब इन .सब सवालों का आज सो जाते हैं नींद को झूटी तसल्ली देकर ह

हम सब की कहानी |

घने  घिरे   हो   बादल   सर   पे, आग   लगी   हो   चंचल   मन   मैं, मनमानी   सी   चाल   चले   जो , भूक   प्यास   सब त्याग चुके जो हाँ   मैं   ठहरा   शख्स   वही   तो, बातें   मेरी   रूमानी   हैं | जान   गए   जो मन   गए अब, सहमे   चेहरे   भांप   गए   सब, रात   की   ठंडी   ओस   की   जैसी , हम   सब   की   यही   कहानी   हैं | रुबाई   जैसी   लगती   होगी. पर   यह   सामान्य   कहानी   हैं . टुकड़ा   टुकड़ा   करके, राहे खुद   ही   तुम्हे   बनानी   है | मुश्किल आये   तो आये   चाहे   फट   पड़े   यह   घनघोर   घटाए, हार   न   मानो साथ   चलो   तुम, कुछ   देर   तो    मेरे पास   रहो   तुम , लहरें मूह   मोडेगी तुमसे, फिर   वापस   आ   जाएँगी , आज रोते   रोते   ज़िन्दगी   झट   से   तुम्हे   हसायेगी | उस   अँधेरी   रात   मैं   चाँद   रौशनी   डालेगा, उस   गहरे   ज़ख्म   मैं   समय   मरहम   लगाएगा, नयी   बात   आज   हैं   नहीं   कुछ   भी, वही   बासी   पुरानी   कहानी   हैं, सोच   रहे   हो     क्या नया है इसमें, यह   मुश्किल   तो जानी   पहचानी   हैं