हम सब की कहानी |

घने  घिरे  हो  बादल  सर  पे,
आग  लगी  हो  चंचल  मन  मैं,
मनमानी  सी  चाल  चले  जो ,
भूक  प्यास  सब त्याग चुके जो
हाँ  मैं  ठहरा  शख्स  वही  तो,
बातें  मेरी  रूमानी  हैं |
जान  गए  जो मन  गए अब,
सहमे  चेहरे  भांप  गए  सब,
रात  की  ठंडी  ओस  की  जैसी ,
हम  सब  की  यही  कहानी  हैं |

रुबाई  जैसी  लगती  होगी.
पर  यह  सामान्य  कहानी  हैं .
टुकड़ा  टुकड़ा  करके,
राहे खुद  ही  तुम्हे  बनानी  है |
मुश्किल आये  तो आये  चाहे  फट  पड़े  यह  घनघोर  घटाए,
हार    मानो साथ  चलो  तुम,
कुछ  देर  तो   मेरे पास  रहो  तुम ,
लहरें मूह  मोडेगी तुमसे,
फिर  वापस    जाएँगी,
आज रोते  रोते  ज़िन्दगी  झट  से  तुम्हे  हसायेगी |

उस  अँधेरी  रात  मैं  चाँद  रौशनी  डालेगा,
उस  गहरे  ज़ख्म  मैं  समय  मरहम  लगाएगा,
नयी  बात  आज  हैं  नहीं  कुछ  भी,
वही  बासी  पुरानी  कहानी  हैं,
सोच  रहे  हो   क्या नया है इसमें,
यह  मुश्किल  तो जानी  पहचानी  हैं |
 

अभी  कल  ही की  तो   बात  हैं  सुन  लो,
मैंने  ताकत  बड़ी  लगायी  थी ,
खुद  को  उठाने  की  दौड़  मैं  मैंने  चोटे  बड़ी  लगायी  थी ,
एक  पल  डरता ,एक  पल  रूकता  फिर  गिर ,फिर  उठ  जाता ,
धीरे  धीरे  सांस  लेकर  यह  पंछी  क़ैद  से  निकल  पाता |

भय  मुसीबत  जो भी  आये,
एक  नयी  सीख  वह  लाएगा
आज  जो  काली  रात  हैं  जीवन  मैं
कल  नया  सवेरा  आएगा ....

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