मैं यादों मैं तेरे साथ हूँ |
ये
कल ही की तो
बात हैं
,
जो
तू जो मेरे साथ
थी,
वो
शाम क्या हसीं थी,
फिर
क्या विचित्र यह रात हैं,
यह
रात पूछती मुझे वो कौन
तबसे साथ था ,
आज
नींद क्यों हैं रूठ गयी,
आज
क्या अलग सी बात हैं
|
मैं कब से तेरे पास
था ज़िन्दगी के हर
पड़ाव पर
,
जो
साथ छोड़ा तुमने तो
अब यादों मैं
तेरे साथ हूँ
|
मैं बिन
मुड़े फिर चल पड़ा
,
उस प्यार की तलाश मैं
,
उस प्यार को
ढूंढो कहा
,
अब
यह याद
ही मेरे पास हैं|
जो
आज यही हैं मेरे
पास ,
वो
रात का
गुलाम हैं (दर्द),
ये
दर्द याद मैं छिपा
यह दर्द बड़ा परेशां हैं
,
परेशां हैं इस बात पे
मैं क्यों खड़ा उदास सा
,
ये
दर्द तरस
सा खा रहा,
ये
क्या अजीब सी बात
हैं |
आंसुओं
मैं जैसे
धूल गया ,
वो
दर्द तेरे जाने का
,
क्या
उसे बताये कोई की क्या
ही मेरा हाल हैं |
खोलूं कैसे
यह दर्दे
-दिल ,
उसकी
याद बड़ी मज़बूत
हैं ,
चोट
खा के घिस गयी
पर अब भी मेरे
साथ हैं|
तेरे
आने की उम्मीद मैं
रह गया
सपना
मेरा मासूम था
कोई
उसे समझाए ज़रा
,
यह
दिल बड़ा नादान हैं|
हैं दिल
की नहीं यह बात सिर्फ
मिला
हुआ दिम्माग भी,
वह
शह-मात दे गए
यह
प्यार ही हैं खेल
ही|
हैं
कुछ नहीं बाकी रहा
कुछ
दर्द कुछ ज़ख्म यहाँ
शायद
अब कोई उसे दे
बता
मैं
यादों में उसके साथ
हूँ |
-Abhinav
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